Friday, 23 August 2019

क्या तीर्थाटन या मंदिर पर्यटन से उत्तराखंड को फायदा हो रहा है ?


Written by Anil Singh
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ऋषिकेश स्थित चौरासी कुटी एंव रुद्रप्रयाग स्थित नारायण कोटि के बाद, उत्तराखंड सरकार अब तुंगनाथ, आदि बद्री, लाटू देवता और कार्तिकेय स्वामी स्थलों को भी दो निजी कंपनियों को हस्तांतरित कर रही है |


उत्तराखंड सरकार का यह मानना है की प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर को निजी हाथों में देने से, पर्वतीय राज्य में पर्यटन बढ़ेगा, जिससे न केवल धरोहर का अच्छा रख रखाव होगा, इससे रोजगार भी बढ़ेगा |

यह आंकलन सही नहीं प्रतीत होता |

इसका मुख्य कारण, इस तर्क को सहारा देने वाले शोध का आभाव है |

उत्तराखंड में पर्यटन को तीर्थाटन या मंदिर पर्यटन के रूप में देखा जाता है (मुख्यतः ) | हर वर्ष करोड़ों की संख्या में पर्यटक उत्तराखंड आते हैं , परन्तु उनके आगमन से उत्तराखंड सरकार को कितनी आमदनी होती है , यह स्पष्ट नहीं है |

मेरी दृष्टि में इस प्रकार के पर्यटन से उत्तराखंड राज्य मुनाफा नहीं, नुकसान कमाता है |

मंदिर अपने चढ़ावे की राशि का अंश सरकार को नहीं देते | परन्तु राज्य परिवहन से लेकर , पुलिस ऐंव सरकारी बंदोबस्त पर खासा खर्चा होता है | सड़कों की मरम्मत का खर्च अलग है |

इसके अतिरिक्त करोड़ों पर्यटकों के बोझ से उत्तराखंड का प्राकतिक संतुलन बिगड़ रहा है | इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हर वर्ष अधिक विकरणल होती प्राकृतिक आपदाएं हैं |

इन सभी बिंदुओं को देखते हुए , सरकार को यह बताना चाहिए की इस पर्यटन योजना किस प्रकार उत्तराखंड निवासियों के लिए हितकर है |  कितना अच्छा रोज़गार बढ़ रहा है | 

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